परमाणु संरचना
परमाणु वअणु – परमाणु पदार्थ को बनाने वाली मूल इकाई है । परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है , जो उसकी रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है ।
दो या दो से अधिक परमाणुओं के निश्चित अनुपात में संयोजन से अणु बनते है । यदि किसीअणु में एक ही प्रकार के परमाणु होते है तो उसे सम परमाण्वीय( Homoatomic ) अणु कहते है ।
उदाहरण : – N2, O2, Cl2 , आदि
यदि किसी अणु में दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणु शामिल हो तो उसे विषमपरमाण्वीय अणु कहते है । जैसे- H2O ( जल) ,CO2 ( कार्बनडाइऑक्साइड ) , H202, ( हाइड्रोजन पराक्सॉइड )
अणु ( Molecules ) – किसी तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण जिसका प्रकृति में स्वतन्त्र अस्तित्व संभव होता है , अणु कहलाता है ।
परमाणु व अणु में अंतर :-
परमाणु | अणु |
परमाणु किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण है जो उसकी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है । | अणु किसी तत्व या यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है । |
ये इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन व न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है । | ये परमाणुओं से मिलकर बने होते है । |
परमाणु प्रायः स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते है । | अणु प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में रह सकते है । | |
रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु लगभग अविभाज्य रूप में भाग लेते है तथा इनका स्वरूप नष्ट नहीं होता है | प्रायः परमाणुओं में विभाजित हो जाते है रासायनिक संयोग द्वारा अन्य प्रकार के अणु बनाते है । |
डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत
डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार
1. तत्व अनेक सूक्ष्मतम कणों से मिलकर बना होता है , जिसे परमाणु कहते है ।
2. परमाणु अविभाज्य है ।
3. एक ही तत्व के परमाणु आकार, द्रव्यमान तथा अन्य सभी गुणों में एक दूसरे से समान होते है परन्तु भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर भिन्न होते है ।
Note : | समस्थानिक व रेडियोएक्टिवता की खोज के बाद डाल्टन सिद्धांत अमान्य हो गया । |
थॉमसन का परमाणु मॉडल
थॉमसन के अनुसार धनावेश पूरे परमाणु गोले में फैला रहता है जिसकी त्रिज्या108 सेमी. होती है । इस में इलेक्ट्रॉन बीच – बीच में उपस्थित रहकर उसे विद्युत उदासीन बनाते है । थॉमसन का परमाणु मॉडल प्लम – पुडिंगमॉडल कहलाता है । रदरफोर्ड ने अपने एल्फा कण प्रकीर्णन के प्रयोग से इसे अमान्यकर दिया ।
रदरफोर्ड का स्वर्णपत्र प्रयोग:-
अरने स्टरदरफोर्ड ने परमाणु के नाभिक की खोज की इनके स्वर्ण पत्र प्रयोग में 4 x 10-5 सेमी . पतली सोने की झिल्ली पर एल्फा कणों की बमबारी के प्रयोग किये गये । इस प्रयोग के लिए कहा जाता है , कि लोहे का भारी गोला कागज की पतली पन्नी से टकराकर वापस लौट गया ।
निष्कर्ष: –
1. परमाणुका अधिकांश भाग खोखला होता है ।
2. परमाणु के मध्य मेंअत्यंत सूक्ष्म धनावेशित ठोस भाग स्थित है जिसे उसनेनाभिक कहा ।
3. नाभिकमें उपस्थित धनावेशित कणों की संख्या केसमान ही इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है अतः परमाणु उदासीन होता है ।
4. इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों और वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते है ।
रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया की इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा हास के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक में समा जायेगा । यदि इलेक्ट्रॉन निरन्तर ऊर्जा का उत्सर्जन करेगा तो प्राप्त स्पेक्ट्रम सतत होना चाहिये लेकिन ऐसा नहीं होता परमाणु रेखीय स्पेक्ट्रम देते हैं ।
इन कमियों को दूर करते हुए नील्स बोर ने परमाणु का मॉडल प्रस्तुत किया ।
नील्स बोर की परिकल्पनायें:–
1. इलेक्ट्रॉननाभिक के चारों औ रनिश्चित ऊर्जा के वृत्ताकार स्थायीकक्षों में चक्कर लगाते हैं जिन्हें ऊर्जा स्तर या कोश कहाजाता है ।
2. इलेक्ट्रॉन केवल उन्ही वृत्ताकार कक्षों में चक्कर लगाते है । जिनकाकोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणांकहोता है ..
3. जबकोई इलेक्ट्रॉन एक ही कक्षमें चक्कर लगाता है तो इलेक्ट्रॉनद्वारा ऊर्जा का अवशोषण याउत्सर्जन नहीं होता है ।
इलेक्ट्रॉन जब निम्न कक्षसे उच्च कक्ष में प्रवेश करता है तो ऊर्जाका अवशोषणकरता है
जबकिउच्च कक्ष से निम्न कक्षमें प्रवेश करते समय ऊर्जा का उत्सर्जनकरता है ।
4. ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन क्वांटा या बंडल के रूप में होता है ।
परमाणु के मौलिक कण : –
खोज | आवेश | द्रव्यमान | |
1. इलेक्ट्रॉन | थॉमसन ( कैथोड़) इलेक्ट्रॉन नाम दिया- स्टोनी | 1.6 x 10-19 ‘ कूलॉम ( मिलिकन ने दिया ) | 9.1 x 10-28 ग्राम इलेक्ट्रॉन का e / m का मान = 1.76 x 10 8 कूलाम / ग्राम |
2. प्रोटॉन | गोल्डस्टीन | 1.6020 x 10-19 कूलाम ( धनावेश ) | 1.6726×10-24 ग्राम |
3. न्यूट्रॉन | जेम्स चैडविक | आवेश रहित | 1.675×10-24 ग्राम |
4. पॉजिट्रॉन | सी.डी. एण्डरसन ( 1932 ) | इकाई धनावेश | इलेक्ट्रॉन के समान |
5. मेसान | युकावा ( 1935 ) | धन , ऋण , शून्य | ( > इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन) |
6. न्यूट्रीनो | पॉलिंग ( 1927 ) | शून्य | ( < इलेक्ट्रॉन ) |
7. एन्टीप्रोटॉन | सिगरे | ऋणावेश | प्रोटॉन के समान |
8. एन्टीन्यूट्रॉन | कार्क | शून्य | न्यूट्रॉन के समानचक्रण- न्यूट्रॉन से विपरीत |
Note : प्रोटॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के एक परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है । |
परमाणु संरचना
परमाणु के दो भाग होते है । |
1. नाभिक |
2. बाहरी भाग |
1. नाभिक: – नाभिक परमाणु का . अत्यंत सूक्ष्म भाग है । नाभिकन्यूट्रॉन व प्रोटॉन सेमिलकर बना होता है । परमाणुका कुल भार नाभिक में रहता है । नाभिकमें धन आवेशित प्रोटॉनके पाये जाने के कारण इसमेंधन आवेश का उच्च घनत्वपाया जाता है । नाभिकमें पाये जाने वाले प्रोटॉनों एवं न्यूट्रॉनों को सम्मिलित रूपसे ‘ न्यूक्लिओन्स ‘ कहते है । न्यूक्लिओन्सकी संख्या तत्व की द्रव्यमान संख्या( A ) कहलाती है ।
परमाणु के नाभिक काआकार 10-15मी . होता है ।
द्रव्यमान संख्या ( A ) = प्रोटॉन की संख्या ( P ) + न्यूट्रॉन की संख्या ( N ) |
परमाणुके नाभिक की त्रिज्या उसमेंउपस्थित न्यूक्लिओन्स की संख्या केघनमूल के समानुपाती होतीहै ।
RA3
R = जहाँ R = नाभिक की त्रिज्या , R स्थिरांक( 1.40x 10-13 सेमी. )
A = न्यूक्लिऑनों की संख्या
परमाणु क्रमांक( Atomic Number ) : –
किसी तत्व के परमाणु केनाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या उसतत्व का परमाणु क्रमांककहलाता है । उदासीनपरमाणु में परमाणु क्रमांक इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोनकी संख्या होती है ।
न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या- परमाणु क्रमांक |
N = A – Z |
बाहरी भाग: – परमाणु के बाहरी भागमें निश्चित कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओरचक्कर लगाते है । इनकक्षों को ऊर्जा स्तरकहा जाता है ।
प्रथम कक्ष को K , |
द्वितीय कक्ष को L , |
तृतीय कक्ष को M , |
चतुर्थ कक्ष को N |
आदिसे दर्शाते है ।
प्रत्येककक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या2n2 होती है ।
(n-कक्षोंकी संख्या ) = 1 , 2 , 3 ,
उदाहरण: – K , L , M , N कक्षोंमें इलेक्ट्रॉनों की अधि कतमसंख्या निम्न प्रकार होगी- .
कक्ष | n | 2n2 | इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या |
K | 1 | 2(1)2 | 2 |
L | 2 | 2(2)2 | 8 |
M | 3 | 2(3)2 | 18 |
N | 4 | 2(4)2 | 32 |
तत्वका निरूपण
zXA [ द्रव्यमान संख्या(A) , परमाणु क्रमांक (Z)]
उदाहरण- 9F19 , 11N23
कक्षक- ( Orbital ) परमाणु कोशों को उपकोशों मेंतथा उपकोशों को कक्षकों मेंविभाजित किया जाता है । परमाणुके नाभिक के चारों ओरवह त्रिविमिय क्षेत्र जहाँ गतिमान इलेक्ट्रॉनों के पाये जानेकी संभावना अधिकतम होती है , कक्षक कहलाता है । एककक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रहसकते है । उपकोशचार प्रकार के होते है।
उपकोश | |
S | इसमें एक कक्षक होता है ।S उपकोश गोलाकार होता है ।तथा अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या दो होती है । |
P | P उपकोश में तीन कक्षक होते हैतथा आकृति डम्बलाकार होती है । ये तीनों कक्षक त्रिविम स्थान में परस्पर समकोणीय अक्ष ( X , Y व Z ) पर अभिविन्यासित होते है , इन्हें Px , Py व Pz कक्षक कहते है ।P उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 होती है । |
d | d उपकोश में 5 कक्षक होते है ।इनकी आकृति दोहरी डम्बलाकार होती है जिन्हें क्रमश : dxy , dxz , dyz , dx2, y2 व dz2 द्वारा दर्शाते है ।d उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 10 होती है । |
f | तथा इसमे सात कक्षक होते हैइनकी आकृति जटिल होती है ।इनमें अधिमतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 14 होती है । |
परमाणु के कक्ष जिन्हें कोश ( Shell ) भी कहते है, जो उपकोशों ( Sub shell ) में विभाजित होते है तथा येउपकोश पुनः कक्षकों ( Orbitals ) में विभाजित रहते है । विभिन्न कोशों में उपकोश तथा कक्षकों की संख्या निम्नप्रकार होती है
कक्ष या कोश | उपकोश | कक्षक |
---|---|---|
1 | s | 1 |
2 | S व P | 1+3=4 |
3 | S, P व d | 1+3+5=9 |
4 | S, P,d व f | 1+3+5+7=16 |
कक्ष व कक्षक में अंतर
कक्ष ( Orbit ) | कक्षक ( Orbital ) |
---|---|
कक्ष की अवधारणा बोर द्वारा दी गई | कक्षक की अवधारणा तंरग यांत्रिकी सिद्धांत का परिणाम है |
द्विविमीय पथ | त्रिविमीय स्थान |
एक कक्ष में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n2 होती है | एक कक्षक में अधिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या दो होती है |