तत्वों का वर्गीकरण |
|||
गुण |
धातु( Metal ) |
अधातु ( Non – metal ) |
उपधातु ( Metalloid ) |
अभिलाक्षणिक गुण |
e त्यागकर धनायन बनाते है |
e ग्रहण करके ऋणायन बनाते है |
सामान्य ताप पर अधातु व उच्च ताप पर धातु |
अवस्था |
ठोस अपवाद – पारा ( द्रव ) |
गैस ठोस अपवाद– ब्रोमीन ( द्रव ) |
ठोस |
गलनांक – क्वथनांक |
उच्च ( High ) |
निम्न ( Low ) |
मध्यम |
चालकता |
सुचालक |
कुचालक |
अर्द्ध चालक |
आघातवर्धनीयता |
पायी जाती है |
नहीं पायी जाती है |
नहीं पायी जाती है |
अभीतक कुल ज्ञात तत्व = 118
तत्वोंका वर्गीकरण / आवर्त सारणी का जनक = मेन्डेलीफ
मेण्डेलीफने तत्त्वों का वर्गीकरण परमाणुभार के आधार परकिया ।
आधुनिकआवर्त सारणी का जनक = हेनरीमोजले
मौजलेमें तत्त्वों का वर्गीकरण परमाणुक्रमांक के आधार परकिया ।
प्राकृतिकरूप से ज्ञात तत्व= 92
अन्तिमस्थायी तत्व = लेड़ ( Pb )
तत्वोंका प्रतीक = बर्जीलियस द्वारा
द्रवअवस्था में पायी जाने वाली धातु – पारा , मर्करी
किसधातु का गलनांक सर्वाधिकहोता है– टंगस्टन ( w ) 3640 ° C
किसधातु का गलनांक सबसेकम होता है – मर्करी ( Hg ) तामान – 38.83 ° C ( -39 )
न्यूनतमऊष्मा चालकता वाली धातु – सीसा ( Pb )
सर्वाधिककम आद्यातवर्धनीयता वाली धातु – सीसा ( Pb )
सबसहल्की धातु – लिथियम ( Li )
सबसेभारी धातु – ऑस्मियम ( OS )
किसधातु का घनत्व सर्वाधिकहोता है – ठोस रूप में ऑस्मियम द्रव रूप में पारा ।
सबसेसक्रीय धातु – Li , Na व k
अत्यधिकसक्रिय होने के कारण इन्हेंकेरोसीन तेल में डुबोकर रखा जाता है , क्योंकि खुले में यह तुरन्त नमीके साथ आग पकड़ लेतीहै
सबसेअक्रीय धातु ( नॉबेल मेटल ) –सोना ( Au ) , चाँदी ( Ag ) , प्लेटिनम ( P
)
कौनसीअधातु को पानी मेंडुबोकर रखा जाता है – फॉस्फोरस ( P ) ( दहनशील होने के कारण )
पृथ्वीतल पर सर्वाधिक पायीजाने वाली अधातु – ऑक्सीजन
वायुमण्डलमें सर्वाधिक पायी जाने वाली गैस – नाइट्रोजन
सबसेहल्की गैस – हाइड्रोजन
सर्वाधिकआघातवर्धनीय धातु – सोना ( Au )
धातुमें चालक का क्रम = Ag > Cu > AI > Fe
सबसेकम चालक धातु = सीसा ( लेड ) Pb
सबसेउच्च उष्मा चालक धातु = मर्करी ( पारा ) Hg
पृथ्वीतल पर उपस्थित तत्वोंका क्रम O > si > Al > Fe
पृथ्वीतल पर सर्वाधिक पाईजाने वाली धातु ऐल्यूमिनियम ( AI )
पृथ्वीतल पर सर्वाधिक पायीजाने वाली अधातु = ऑक्सीजन ( O )
सर्वाधिकखनन की जाने वालीधातु = आयरन ( Fe )
उपधातु– कुल उपधातु तत्व 7 होते हैं
भोले |
शिव |
ऐसी |
तेरी |
आत्मा |
जिए |
सब |
B |
Si |
As |
Te |
At |
Ge |
Sb |
बोरोन |
सिलिकन |
आर्सेनिक |
टेलूरियम |
ऐस्टेटिन |
जर्मेनियम |
ऐन्टिमनी |
सौरसेल में प्रयुक्त उपधातु तत्व = Si , Ge
नोबेलगैस – इन्हें अक्रिय गैस कहते है ।
येकुल 6 होती है ।
ये एक परमाणुकगैसीय तत्व हैं ।
हरभजन |
नेहरा |
अगरकर |
कार्तिक |
जिरो |
रन |
He |
Ne |
Ar |
Kr |
Xe |
Rn |
हिलियम |
नियॉन |
ऑर्गन |
क्रिप्टॉन |
जिनॉन |
रेडॉन |
तत्वका प्रतीक ZXA
A= Mass Number ( P+ + n° Number )
Z – Atomic Number – P+ Number
Ex . 11Na23
Z = 11 ( P+)
A = 23 ( P+ + n0 )
N0 = 23 -1 = 12
समस्थानिक– एक ही तत्वके विभिन्न परमाणु जिनके परमाणु क्रमांक समान व द्रव्यमान संख्याअलग होती है समस्थानिक कहलातेहै
92U238 |
92U234 |
|
|
17Cl35 |
17C37 |
|
|
1H1 |
1D2 |
1T3 |
|
8O16 |
8O17 |
8O18 |
|
6C12 |
6C13 |
6C14 |
|
26Fe54 |
26Fe56 |
26Fe57 |
26Fe58 |
7N14 |
7N15 |
|
|
18Ar40 |
19K40 |
20Ca40 |
82Pb210 |
83Bi210 |
|
6C14 |
7N14 |
|
1H3 |
2He3 |
|
समभारिक– विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनकेपरमाणु क्रमांक भिन्न व द्रव्यमान संख्यासमान होती है , सामभारिक कहलाते है ।
समन्यूट्रॉनिक– विभिन्न तत्वों के परमाणु जिनमेंन्यूट्रॉनों की संख्या समानहो , परंतु परमाणु क्रमांक भिन्न हो समन्यूट्रॉनिक कहलातेहै । .
32Ge76 |
33As77 |
न्यूट्रॉन = 4 |
6C14 |
7N15 |
न्यूट्रॉन = 8 |
14Si30 |
15P31 |
16S32 न्यूट्रॉन = 16 |
17Cl37 |
18Ar38 |
20Ca40 न्यूट्रॉन = 20 |
आइसोडायफियरस:
स्पीशीजजिनके लिए ( न्यूट्रॉन – प्रोटॉन ) की संख्या समानहोती है ।
कक्षकोंमें इलेक्ट्रॉन भरने का क्रम वइलेक्ट्रॉनीय विन्यास
परमाणुओंके उपकोशों में इलेक्ट्रॉन ऊर्जा के बढ़ते क्रममें प्रवेश करते है । परमाणुओंके उपकोशों की ऊर्जाओं काबढ़ता क्रम निम्न है ।
1s < 2s < 2P < 3 < 3p < 4s < 3d < 4p < 5p < 4d < 5p < 6s < 4f < 5d < 6p < s < 5f < 60 < 7p
उपकोशों से पहले प्रयुक्तअंक कक्षों की संख्या ( n ) कोप्रदर्शित करते है ।
|
|
↙ |
|
|
|
|
1S |
↙ |
↙ |
|
|
↙ |
2S |
2P |
↙ |
↙ |
|
↙ |
3S |
3P |
3d |
↙ |
↙ |
↙ |
4S |
4P |
4d |
4f |
↙ |
↙ |
5S |
5P |
5d |
5f |
|
↙ |
6S |
6P |
6d |
|
|
↙ |
7S |
7P |
|
|
|
↙ |
↙ |
|
|
|
|
उपकोशोंकी ऊर्जाओं का बढ़ता हुआक्रम
बोर कक्ष में इलेक्ट्रॉन का वेग वत्रिज्या
इलेक्ट्रॉनका वेग ( V ) = Z/n x 2.186 x 108 सेमी से
इलेक्ट्रॉनका वेग V α ⅟n
n कामान बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन कावेग घटता है व z कामान बढ़ने पर इलेक्ट्रॉन कावेग बढ़ता है ।
त्रिज्या( r ) = 0.529 x n2 / Z Ao
हाइड्रोजनपरमाणु के लिए Z = 1 तथाn = 1 हो तो पहली कक्षाके लिए r = 0.529 Aoहोगी इसे बोर त्रिज्या कहते है ।
बोरकक्षा की त्रिज्या r ∝ n2/ Z
यदिn स्थिर हो तो r ∝ n2 , n का मान बढ़नेपर r का मान बढ़ताहै ।
उदाहरण: – हाइड्रोजन परमाणु के द्वितीय बोरकक्ष की त्रिज्या ववेग ज्ञात कीजिए
त्रिज्या(r) = 0.529 x n2 / z , n = 2 a Z = 1
= 0.529 x 22 / 1 = 0.529 X 4 = 2.116 A0
वेग( v ) = 2.186 x 108 x Z / n
= 2.186 x 108 x 1 / 2 = 1.093 x 108सेमी से -1
बोरकक्ष में इलेक्टॉन की ऊर्जा
En = – |
2π2me4z2 |
n2h2 |
यहाँ
En = n वेंकोश में इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा
m = इलेक्ट्रॉनका द्रव्यमान = 9.109 x 10-28 gm
e = इलेक्ट्रॉनका आवेश = 4.8029 ~ 10-0 gm emu
h = प्लांक स्थिरांक = 6.62×10-27 अर्ग सेकण्ड
Z = परमाणुक्रमांक
En = 13.6 x Z2 / n2 ‘ इलेक्ट्रॉन वोल्ट ( ev ) / परमाणु
lev = 23.062 KCal
1 KCal = 4.184 k.j.
परमाणु संरचना की आधुनिक अवधारणा |
डी. ब्रॉग्ली का इलेक्ट्रॉन कीद्वैत प्रकृति का सिद्धांत
डी ब्रॉग्ली केअनुसार इलेक्ट्रॉन की प्रकृति दोहरीहोती है तथा यहएक ही समय मेंकण व तरंग दोनोंके जैसा व्यवहार करता है ।
आइन्सटीनके अनुसार द्रव्यमान व ऊर्जा मेंसम्बन्ध
E = mc2 …. ( 1 )
प्लांक के अनुसार किसीफोटोन की ऊर्जा
E = hѵ….. ( 2 )
समी . ( 1 ) व ( 2 ) से
Mc2 = hѵ ,
mc2= h |
C |
> |
ʎ |
समीकरण
ʎ = |
h |
………………….(3) |
|
p |
|||
|
|
||
समीकरण( 3 ) को दे ब्रॉग्ली समीकरणकहते है ।
हाइजेनबर्ग का अनिश्चितता कासिद्धांत :- किसी भी क्षण किसीसूक्ष्म कण की स्थितिव संवेग दोनों के मानों कोयथार्थता के साथ ज्ञातकरना संभव नहीं है ।
h APxx Ax2 4T A
∆Px = x अक्ष में कण के संवेगकी अनिश्चितता
∆A = अक्ष में कण की स्थितिकी अनिश्चितता
DokUटम संख्याएँ
परमाणुमें प्रत्येक इलेक्ट्रॉन की स्थिति , प्रकृतिव उसकी ऊर्जा ज्ञात करने के लिए चारसंख्याओं की आवश्यकता होतीहै , जिन्हें क्वांटम संख्यायें कहते है ।
1. मुख्य क्वान्टम संख्या: – यह क्वांटम संख्या इलेक्ट्रॉन की नाभिक सेदूरी अर्थात इलेक्ट्रॉन के कक्ष अथवाकोश का आकार बतातीहै । यह इलेक्ट्रॉनके मुख्य ऊर्जा स्तर को भी दर्शातीहै ।
मुख्य क्वांटम संख्या ( n ) |
कोश ( कक्ष ) |
इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या 2n2 |
1 |
प्रथम ( K ) |
2 x 1² = 2 |
2 |
द्वितीय ( L ) |
2 x 2² = 8 |
3 |
तृतीय ( M ) |
2 x 32 = 18 |
4 |
चतुर्थ ( N ) |
2 x 42 = 32 |
2. द्विगंशीक्वान्टम संख्या ( l ) : – यह क्वाटम संख्याइलेक्ट्रॉन अभ्र या इलेक्ट्रॉन केउपकक्ष की आकृति , उसकेकोणीय संवेग को दर्शाती है, इसे lसे प्रदर्शित करतेहै । किसी निश्चितमुख्य क्वान्टम संख्या ( n ) के लिए द्विगंशीक्वान्टम संख्या ( l ) के मान 0 से( n- l ) तक होते है तथा प्रत्येकका मान एक उपकोश ( उपऊर्जा स्तर ) का निर्धारण करताहै । / के कुल मानोंकी संख्या n के बराबर होतीहै ।
उदाहरणार्थ
n = 4 1 = 0 से3 ( 0 , 1 , 2 , 3 ) कुलचार
l के मान 0 1 2 3
उपकोशका प्रतीक S p d f
मुख्य क्वान्टम संख्या |
द्विगंशी क्वान्टम संख्या |
कोश |
1 |
0 |
1s |
2 |
0,1 |
2s, 2p |
3 |
0,1,2 |
3s, 3p, 3d |
4 |
0,1,2,3 |
4s, 4p, 4d, 4f |
किसीभी उपकोश में उपस्थित अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2 ( 2l+ 1 ) होती हैतथा कक्षकों की संख्या ( 2l+ 1 ) होती है।
मुख्य क्वांटम |
1 |
2 |
|
3 |
|
|
4 |
|
|
|
उपकोशों के संख्या ( n ) |
1 |
2 |
|
3 |
|
|
4 |
|
|
|
द्विगंशी क्वांटम संख्या (l) |
0 |
0 |
1 |
0 |
1 |
2 |
0 |
1 |
2 |
3 |
उपकोशों के नाम |
s |
s |
p |
s |
p |
d |
s |
p |
d |
f |
कक्षकों की संख्या ( 2l + 1 ) |
1 |
1 |
3 |
1 |
3 |
5 |
1 |
3 |
5 |
7 |
इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2( 2l + 1 ) |
2 |
2 |
6 |
2 |
6 |
10 |
2 |
6 |
10 |
14 |
कोश में कुल इलेक्ट्रॉन |
2 |
|
8 |
|
|
18 |
|
|
|
32 |
3. चुम्बकीय क्वाटंमसंख्या( m ) : – यह क्वाटम संख्या चुम्बकीय क्षेत्र में इलेक्ट्रॉन के व्यवहार कोवर्णित करती है । यहक्वाटम संख्या इलेक्ट्रॉन अभ्र के अन्तराकाश मेंअभिविन्यास का निर्धारण करतीहै । इसका मानद्विगंशी क्वाटम संख्या ( 1 ) के मानों परनिर्भर करती है । इनकेकुल मान -l से +l तक होते हैजिनमें शून्य भी शामिल है।
m केकुल मान ( 2l + 1 ) के बराबर होतेहै । जो कक्षकोंकी संख्या को इंगित करतेहै ।
m = -l , – ( l – l ) , ……… 0 ( l – l) +l
उपकोश |
द्विगंशी क्वाटम संख्या (l) का मान |
चुम्बकीय क्वाटंम संख्या (m) का मान |
कक्षकों की संख्या (2l+1) |
इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या |
S |
0 |
0 |
1 |
2 |
P |
1 |
-1, 0, +1 |
3 |
6 |
D |
2 |
-2, -1, 0, +1, +2 |
5 |
10 |
f |
3 |
-3, -2, -1, 0, +1, +2, +3 |
7 |
14 |
चक्रण क्वाटमसंख्या( s ) : – यह क्वाटम संख्या इलेक्ट्रॉन के अपने अक्षपर चक्रण करने की दिशा कोइंगित करती है । चक्रणक्वांटम संख्या के दो मानक्रमशः + 1/2 व -1/2 होते है । यदिचक्रण विपरीत हो तो कक्षकमें अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या दोहो सकती है ।
प्रमुख तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यास |
|||
परमाणु क्रमांक |
प्रतीक |
तत्व का नाम |
इलेक्ट्रॉनिक विन्यास |
1. |
H |
हाइड्रोजन |
1s1 |
2. |
He |
हीलियम |
1s2 |
3. |
Li |
लीथियम |
1s2 , 2s1 |
4. |
Be |
बेरीलियम |
1s2 , 2s2 |
5. |
B |
बोरॉन |
1s2 , 2s2 ,2 p1 |
6. |
C |
कार्बन |
1s2 , 2s2 ,2 p2 |
7. |
N |
नाइट्रोजन |
1s2 , 2s2 ,2 p3 |
8. |
O |
ऑक्सीजन |
1s2 , 2s2 ,2 p4 |
9. |
F |
फ्लुओरीन |
1s2 , 2s2 ,2 p5 |
10. |
`Ne |
निऑन |
1s2 , 2s2 ,2 p6 |
11. |
Na |
सोडियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 |
12. |
Mg |
मैग्नीशियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s2 |
16 |
S |
सल्फर |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p4 |
18 |
Ar |
ऑर्गन |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6 |
19 |
K |
पोटेशियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d0, 4s1 |
20 |
Ca |
कैल्शियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d0, 4s2 |
21 |
Sc |
स्कैडियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d1, 4s2 |
24 |
Cr |
क्रोमियम |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d5, 4s1 अर्द्धपूरित d व s कक्षक स्थायी |
25 |
Mn |
मैंगनीज |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d5, 4s2 |
26 |
Fe |
आयरन |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d6, 4s2 |
27 |
Co |
कोबाल्ट |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d7, 4s2 |
28 |
Ni |
निकल |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d8, 4s2 |
29 |
Cu |
कॉपर |
1s2 , 2s2 ,2 p6, 3s1 ,3p6, 3d10, 4s1 पूर्ण पूरित d अर्द्धपूरित S कक्षक स्थायी |