गुणों में आवर्तिता ( Periodicity in properties )
आवर्तसारणी के आधार परतत्वों के कई भौतिकएवं रासायनिक गुणों को स्पष्ट कियाजाता है । यदिआवर्त सारणी में वर्ग में ऊपर से नीचे याआवर्त में बाँए से दाए जाएतो तत्वों के भौतिक एवंरासायनिक गुणों के बढ़ने याघटने का एक निश्चितक्रम दिखाई देता है ।
तत्वोंके गुणों में यह नियमित परिवर्तनउनके इलेक्ट्रॉनिक विन्यास पर निर्भर करताहै । आवर्त सारणीमें तत्वों के इलेक्ट्रॉनिक विन्यासमें क्रमिक परिवर्तन होता है इसी केसाथ तत्वों के गुणों मेंभी क्रमिक परिवर्तन दृष्टिगोचर होता है । गुणोंमें इस क्रमिक परिवर्तनको ही गुणों मेंआवर्तिता कहा जाता है तथा गुणोंको आवर्ती गुण कहा जाता है । जैसेपरमाणु त्रिज्या , गलनांक , क्वथनांक , आयनन एन्थैल्पी , संयोजकता आदि । कुछ प्रमुखगुणों में आवर्तिता इस प्रकार पाईजाती है ।
परमाणु त्रिज्या ( Atomic radius )
आयनिक त्रिज्या ( Ionic radius )
आयनन एन्थैल्पी – ( Ionisation enthalpy )
इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ( Electron gain enthalpy )
विघुत ऋणता ( Electronegativity )
1. परमाणु त्रिज्या ( Atomic radius )
परमाणु केबाह्यमकोशमेंउपस्थितइलेक्ट्रॉनसेनाभिककेमध्यकीदूरीकोपरमाणुत्रिज्याकहतेहै।यहएकबहुतहीछोटीइकाईहोतीहै।एकहीआवर्तमेंबाएँसेदाएँजानेपरपरमाणुक्रमांकबढ़ताजाताअतःनाभिकमेंप्रोटॉनकीसंख्याबढ़तीहै।इसकारणबाहतमकोशमेंउपस्थितइलेक्ट्रॉनपरअधिकनाभिकीयआकर्षणबललगताहै, इसलिएपरमाणुत्रिज्याकामानघटताहै।
परमाणु में बाह्यतम कोश के इलेक्ट्रॉन परनाभिक के द्वारा जोआकर्षण बल महसूस कियाजाता है उसे प्रभावी- नाभिकीय आवेश कहते है । प्रभावीनाभिकीय आवेश हमेशा वास्तविक नाभिकीय आवेश से कम होताहै क्योंकि बाह्तम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉनों के परस्पर प्रतिकर्षणबल से कुछ मात्रामें नाभिकीय आकर्षण बल संतुलित होजाता है । प्रभावीनाभिकीय आवेश महत्वपूर्ण गुण है जिससे आवर्त्तसारणी में गुणों की आवर्तिता प्रभावितहोती है । एकही आवर्त्त में बाँए से दाँए जानेपर प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढताहै तथा वर्ग में ऊपर से नीचे जानेपर कम होता है। एक ही वर्गमें ऊपर से नीचे जानेपर परमाणु क्रमांक बढ़ता है साथ हीकोशों की संख्या भीबढ़ती है तथा प्रभावीनाभिकीय आवेश का मान भीकम होता है । अतःपरमाणु त्रिज्या बढ़ती जाती है ।
सारणी वर्गमेंबढ़तीहुईपरमाणुत्रिज्या
तत्व ( वर्ग 1 ) | परमाणु क्रमांक | परमाणु त्रिज्या | कोशो की संख्या |
Li | 3 | 152 | 2 |
Na | 11 | 186 | 3 |
K | 19 | 231 | 4 |
Rb | 37 | 244 | 5 |
Cs | 55 | 262 | 6 |
त्रिज्या पिकोमीटर में
सारणी 7.6 आवर्तमेंघटतीहुईपरमाणुत्रिज्या
आवर्त II ( तत्व ) | परमाणु क्रमांक | परमाणु त्रिज्या |
Li | 3 | 152 |
Be | 4 | 111 |
B | 5 | 88 |
C | 6 | 77 |
N | 7 | 74 |
O | 8 | 66 |
F | 9 | 64 |
परमाणु त्रिज्या पिकोमीटर में
2. आयनिक त्रिज्या ( Ionic radius )
परमाणुइलेक्ट्रॉनग्रहणकरतायात्यागताहैतोआयनकानिर्माणहोताहै।आयनकीत्रिज्याकोहीआयनिकत्रिज्याकहानाहै।किसीपरमाणुकेद्वाराइलेक्ट्रॉनकोत्यागनेसेधनायनबनताहै।
Na | e– | → Na+ + e– | |
निकलने पर | |||
सोडियम परमाणु इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2 , 8 , 1 परमाणु त्रिज्या 186 pm | सोडियम धनायन इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2 , 8 . आयनिक त्रिज्या 95 pm |
चित्र7.8 धनायन का छोटा आकारधनायन निर्माण में इलेक्ट्रॉन के निकलने सेपरमाणु का बाह्यतम कोशपूरी तरह समाप्त हो जाता हैतथा शेष इलेक्ट्रॉनों पर प्रभावी नाभिकीयआवेश का मान बढ़जाता है । अतःहमेशा धनायन का आकार उदासीनपरमाणु से छोटा होताहै । किसी परमाणुद्वारा इलेक्ट्रॉन ग्रहण करने से ऋणायन बनताहै ।
Cl + e– | e– | → Cl– | |
निकलने पर | |||
क्लोरीन परमाणु इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,7 परमाणु त्रिज्या 99 pm | क्लोरीन ऋणायन इलेक्ट्रॉनिक विन्यास 2,8,8 आयनिक त्रिज्या 181 pm |
ऋणायनका बड़ा आकार
ऋणायनबनने में बाह्यतम कोश में इलेक्ट्रॉन की संख्या बढ़तीहै एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान कमहोता है । अतःऋणायन का आकार हमेशाउसके उदासीन परमाणु से बड़ा होताहै ।
3. आयनन एन्थैल्पी – ( Ionisation enthalpy )
गैसीय अवस्था में किसी तत्त्व के एक उदासीन परमाणु से एक इलेक्ट्रॉन पृथक करने केलिए दीजाने वाली ऊर्जा आयनन एन्थैल्पीया आयनन विभव कहलाती है।यह किलो कैलोरी/ मोल या कि लोजूल/ मोलया इलेक्ट्रॉनवोल्ट/ मोल में मापी जाती है।चूँकिइसप्रक्रियामेंऊर्जादीजातीहै, अतःइसकामानहमेशाधनायनहोताहै।
उदासीन परमाणु (g) + आयनन एन्थैल्पी → धनायन(g) + e–
उदासीन परमाणु से प्रथम इलेक्ट्रॉनपृथक करने के लिए दीजाने वाली ऊर्जा प्रथम आयनन एन्थैल्पी , धनायन से एक औरइलेक्ट्रॉन पृथक करने के लिए दीजाने वाली ऊर्जा द्वितीय आयनन एन्थैल्पी कहलाती है । इसीप्रकार तृतीय इलेक्ट्रॉन को पृथक करनेके लिए दी जाने वालीऊर्जा तृतीय आयनन एन्थैल्पी कहलाती है । एकतत्व के लिए सामान्यतयाप्रथम
आयननएन्थैल्पी ( IE ) < द्वितीय आयनन एन्थैल्पी < तृतीय आयन एन्थैल्पी होती है ।
एक ही आवर्त मेंबाँये से दाएँ जानेपर परमाणु आकार कम होने सेएवं प्रभावी नाभिकीय आवेश का मान बढ़नेसे , परमाणु से इलेक्ट्रॉन पृथ्ककरना कठिन होता जाता है । अतःआयनन एल्यैपी का मान बढ़ताजाता है । एकही वर्ग में ऊपर से नीचे जानेपर कोशो की संख्या बढ़नेसे परमाणु आकार बढ़ता है तथा प्रभावीनाभिकीय आवेश कम होने केकारण बाह्यतम इलेक्ट्रॉनों का संयोजन ढीलाहोता है । अतःउदासीन परमाणु से इलेक्ट्रॉन पृथककरना सरल होता है । इसकारण वर्ग में ऊपर से नीचे आनेपर तत्वों की आयनन एन्थैल्पीका मान कम होता जाताहै ।
4. इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी ( Electron gain enthalpy )
इसेइलेक्ट्रॉनबंधुताभीकहतेहै।गैसीयअवस्थामेंकिसीतत्त्वकेएकउदासीनपरमाणुद्वाराएकइलेक्ट्रॉनग्रहणकरऋणायनबनायाजाताहै, तोमुक्तऊर्जाइलेक्ट्रॉनलब्धिएन्थैल्पीयाइलेक्ट्रॉनबंधुताकहलातीहै।इसकामानघनात्मकयाऋणात्मकहोसकताहै, यहतत्वकीप्रकृतिपरनिर्भरकरताहै।
उदासीन परमाणु (g) + e–→ ऋणायन + मुक्त ऊर्जा इलेक्ट्रॉन लब्धि एन्थैल्पी
एक ही आवर्तमें बाँए से दाँए जानेपर परमाणु आकार छोटा होने एवं प्रभावी नाभिकीय आवेश बढ़ने के कारण इलेक्ट्रॉनलब्धि एन्थैल्पी का मान बढ़ताजाता है । एकही वर्ग में ऊपर से नीचे जानेपर परमाणु आकार में अनियमितता भी पाई जातीहै ।
5. विघुत ऋणता ( Electronegativity )
सहसंयोजकयौगिकोमेंदोअसमानपरमाणुओं केमध्यबनेहुएरासायनिकबंधकेइलेक्ट्रॉनकोपरमाणु द्वाराअपनीऔरआकर्षितकरनेकेगुणकोविघुतऋणता कहते है।तत्त्वोंकी यह एक सापेक्ष प्रवृत्ति होतीहै।
एकही आवर्त में बाँए से दाँए जानेपर परमाणु आकार छोटा होते जाने के कारण तत्वोंकी विधुत ऋणता बढ़ती जाती है । एकही वर्ग में ऊपर से नीचे जानेपर परमाणु आकार बढ़ते जाने के कारण विद्युतऋणता का मान घटताजाता है । सर्वाधिकविघुतऋणी तत्त्व फ्लोरीन ( F ) होता है ।