तेजाजी

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तेजाजी का मेला

नागौर जिले के परबतसर नामक स्थान पर भाद्रपद कृष्ण दशमी से भाद्रपद शुक्ला दशमी तक तेजाजी का मेला भरता है । इस मेले में लोक देवता तेजाजी के गीत गाये जाते है तथा विभिन्न नस्लों के पशुओं का क्रय – विक्रय होता है ।तेजाजी : जन्म स्थान : – नागौर जिले के खरनाल गांव में ( निर्वाण भादवा सुदी दशमी ) पिता : – नागवंशीय जाट ताहड़जी , ( कुछ लोग चौहान राजपूत ध वल खींची के घर मानते है । )

तेजाजी :

जन्म स्थान : – नागौर जिले के खरनाल गांव में ( निर्वाण भादवा सुदी दशमी ) पिता : – नागवंशीय जाट ताहड़जी , ( कुछ लोग चौहान राजपूत ध वल खींची के घर मानते है । )

पत्नी : – पन्हेर गांव ( अजमेर ) को राजकुमारी पेमलदे । ( रायचन्द्र सिंह की पुत्री ) वीर तेजाजी को धौलिया वीर और काला व बाला का लोक देवता माना जाता है ।

इनका जन्म नागवंशिय जाट परिवार में 1074 ई में नागौर जिले के खडनाल में ताहड जी और राजकुँवर के यहाँ माघ शुक्ला चतुर्दशी को हुआ था । गायों के मुक्तिदाता तथा नागों के देवता के रूप में पूजय तेजाजी के अजमेर जिले के लगभग हर गाँव में चबूतरे है । इसके चबूतरे पर पत्थर का एक घुडसवार व सर्प का चित्र उत्कीर्ण है । इनके पेंचारी को घोडला और चबुतरे को थान कहते है । तेजाजी को मूर्तिया के उत्कीर्णन में तलवार धारी अश्वारोही योद्धा के रूप चित्रित किया जाता है जिनकी जिला को सर्प द्वारा दशित रूप में चित्रित किया जाता है । सैदरिया को तेजाती का मूल स्थान माना जाता है क्योंकि यही इन्हें नाग देवता ने डसा था । अजमेर जिले में इनके मुख्य स्थान : – सुरसुरा , ब्यावर , संदरिया और भांवता में है । ब्यावर के तेजा चौक स्थित प्राचीन थान पर प्रतिवर्ष भादवा सुदो दशमी को तेजाजी का मेला भरता है । इन्होनें लाछा गुजरी की गायों को मेर के मीणाओ से छुडाने में बीवन को आहुति दी । इनकी मृत्यु को समाचार घोडी लीलण द्वार उनके घर पहुँचाया गया । वीर तेजाती को काला और बाला के देवता और कृषि कार्यों का उपकरात्मक देवता मानते है । नागोर जिले के परबतसर गाँव मे तेजाजी की स्मृति में प्रतिवर्ष भाद्रपद शुक्ला दशमी से पूर्णिमा तक तेजा पशु मेला भरता है । तेजाजी जाट समुदाय एवं गुर्जर समुदाय के प्रमुख आराध्य देवता साँप , कुत्ते या अन्य जहरीले कोडे द्वारा काटे जाने पर तेजाजी की पूजा की जाती है ।

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