राजस्थान में सिंचाई परियोजनाएं (rajasthan sichai pariyojna)

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राजस्थान में सिंचाई परियोजनाएं(rajasthan sichai pariyojna)

दिसम्बर 2016 तक राज्य में 38.48 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में सिचाई क्षमता का संभव हो चुका है । 2016-17 में दो वृहद् ( नर्मदा नहर , परवन ) परियोजना , एक आधुनिकीरकरण कार्य गंगनहर , 6 मध्यम ( गरदडा , तकली , पीपलाद , गागरिन , ल्हासी , एवं राजगढ ) परियोजनाएं तथा 40 लघु सिंचाई परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है ।

1. राजगढ सिंचाई परियोजना- कन्थारी और आहू नदियों पर राजगढ जिला झालावाड में निर्माणाधीन ।

2. ल्हासी सिंचाई परियोजना- ल्हासी नदी पर खजुरिया ( छीपाबडौद , बारा ) में काग्र पूर्ण हुआ ।

3. गगरिन सिंचाई परियोजना- आहू नदी पर कालापीपल ( पिडावा , झालावाड ) में कार्य पूर्ण हुआ ।

4. गरदडा सिंचाई परियोजना’- बूंदी जिले के पोलासपुरा में चंबल की सहायक मंगली डूंगरी और गणेशी नाला नदियों पर निर्माणाधीन ।

5. तकली परियोजना- तकली नदी पर धानक्या रामगंज मंडी जिला कोटा में निर्माणाधीन ।

6. पिपलाद सिंचाई परियोजना- पिपलाद नदी पर सूलिया चौकी अकलेरा चितौडगढ में निर्माणाधीन ।

राजस्थान जल क्षेत्र

आजीविका सुधार परियोजना- राज्य के 25 जिलों में 137 बांधों एव उनकी नहरों का जीर्णोद्धार करने हेतु 31 मार्च 2017 को जायका के साथ अनुबंध किया गया । 25 जिलों में 137 बांधों में 92 लघु सिंचाई परियोजनाएं , 42 मध्यम सिंचाई परियोजनाएं , 3 वृहद सिचाई परियोजनाए है ।

बिनोल राजसमन्द में 24 जून 2017 को जल प्रदाय योजना का लोकार्पण किया गया । जल प्रदाय पिरयोजना के महम मांदडी से बिनोल तक 8 किमी लम्बी लाइन बिछाई गई है । जल संरक्षण व उपयोगिता का महत्व लोगों को समझाने हेतु नाबार्ड द्वारा 20 मई 2017 से जल ही जीवन है नामक कार्यकम देश के 21 राज्यों 200 जिलों के एक लाख गांवो में प्रारम्भ किया गया है ।

राजस्थान के 8 जिले अलवर , जोधपुर , चुरू , नागौर , बाडमेर , जैसलमेर , उदयपुर , बीकानेर । सिरोही जिले में बतीसा नाला सिंचाई परियोजना का शिलान्यास किया गया ।

सेंटर ऑफ एक्सीलेंस COE की स्थापना – इसकी स्थापना हेतु राजस्थान सरकार व दक्षिण आस्ट्रेलिया सरकार के मध्य 9 अगस्त 2016 को एक एमओयू किया गया ।पश्चिम बंगाल के बाद राजस्थान देश का ऐसा दूसरा प्रदेश है । जहां COE की स्थापना की गई है ।

ड्रिंकिंग वाटर ग्रिड – राजस्थान सरकार द्वारा नदियों को जोड़ने की महत्वाकांक्षी परियोजना को सवोच्च प्राथमिकता देते हुए बजट भाषण 2014-15 में ड्रिकिंग वाटर ग्रिड की स्थापना की गई । प्रदेश में जनता जल योजना का संचालन व संधारण पंचायतीराज विभाग के माध्यम से किया जा रहा है ।

केयर्न इंडिया द्वारा जल संरक्षण- केयर्न इंडिया बाडमेर के गुडामलानी एवं बायतू क्षेत्र में जल संरक्षण हेतु 20 जनवरी 2017 को राज्य सरकार व केयर्न इंडिया के मध्य एमओयू सम्पन्न हुआ ।

भुंगरू पद्धति- केन्द्र की जियो हाइड्रोलॉजिकल सर्वे डाटा रिपोर्ट के मुताबिक भंगुरू पद्धति के द्वारा राजस्थान के 12 जिलों में श्रीगंगानगर , हनुमानगढ , चितौडगढ , प्रतापगढ , भीलवाडज्ञ , बारां , कोटा , झाालावाड , बीकानेर , जैसलमेर , जोधपुर बाडमेर में किसानों को सूखे व बाढ से निजात मिलेगी ।

मुख्य मंत्री वसुंधरा राजे ने जनवरी 2017 में गुडगांव कनाल सिंचाई परियोजना हेतु 71 करोड रूपए की राशि घोषित की ।

नदियों के बेसिन जोडने की योजना- प्रथम बार इंदिरा गांधी नहर परियोजना की 6 लिफट परियोजनाओं के 3.20 लाख हैक्टेयर क्षेत्र में फव्वारा सिंचाई पद्धति लागू करने की परियोजना भारत सरकार से स्वीकृत मिल गई है । चौथा इंडिया वाटर वीक -2016 नई दिल्ली में 4-8 अप्रैल 2016 को आयोजित किया गया । आगामी वषा में rajasthan water sector livelihood improvement project चलाया जाएगा ।

रावी , व्यास सतलज , घग्घर नदियो के बाढ के रूप में बहने वाले अतिरिक्त पानी के उपयोग के लिए इंदिरा गांधी नहर प्रणाली का restructuring कर rajasthan water sector restructuting project for desert area चलाया जाएगा । दिसम्बर 2016 में राजस्थान बंजर भूमि विकास बोर्ड का नाम परिवर्तित कर अग बंजर भूमि एवं चारागाह विकास बोर्ड कर दिया गया ।

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