प्लास्टिक कुछ अनुभव वाले कार्बनिक बहुलक प्लास्टिक का लाते हैं जो निम्न दो प्रकार के होते हैं थर्मोप्लास्टिक थर्मोसेंटिंग(तापदृढ़) थर्मोप्लास्टिक प्लास्टिक जो गर्म करके आसानी से दूसरे आकार में ढाले जा सकते हैं उदाहरण-पॉलिथीन , टेफलोन, PVC थर्मोसेंटिंग(तापदृढ़) मैं प्लास्टिक जॉब गर्म करके दूसरे आकार में नहीं ढाले जा सकते हैं बल्कि वे गर्म करने […]
आधुनिक आवर्त्त – सारणी ( Modern periodic table ) मैण्डलीफ ने जब आवर्त सारणी का निर्माण किया था तब परमाणु में अवपरमाणुक कणों ( e , p , n ) की व्यवस्था की जानकारी नहीं थी । अतः उन्होने परमाणु भार को मुख्य गुण माना । बीसवीं सदी के प्रारंभ में इलेक्ट्रॉन प्रोटॉन व न्यूट्रॉन की जानकारी के बाद सन 1913 में हेनरी मोजले ने आवर्त सारणी को पुनः व्यवस्थित किया । उन्होनें पाया कि परमाणु भार की तुलना में परमाणु क्रमांक आवर्त सारणी में तत्वों को ज्यादा अच्छी तरह से प्रदर्शित करते है । इस प्रकार मोजले ने एक संशोधित आवर्त नियम दिया जिसके अनुसार ” तत्वो के भौतिक तथा रासायनिक गुणधर्म उनके परमाणु क्रमांको के आवर्ती फलन होते है । ” इसे आधुनिक आवर्त्त – नियम कहते है । आधुनिक आवर्तसारणी में तत्वों को बढ़ते हुए परमाणु क्रमांक के आधार पर रखा गया है । उदासीन परमाणु में परमाणु क्रमांक अर्थात् नाभिक में उपस्थित प्रोटोन की संख्या उसमें उपस्थित इलेक्ट्रॉन की कुल संख्या के बराबर होती है । अतः यह आवर्तसारणी स्वंय ही तत्वों के इलेक्ट्रानिक विन्यास का भी प्रतिनिधित्व करती है । आवर्तसारणी का यह रूप बहुत ही सरल तथा मैण्डेलीफ की आवर्त सारणी की तुलना में ज्यादा विस्तृत है । इसे आवर्तसारणी का दीर्घ या लम्बा रूप ( Extendedor long formof periodic tabe ) भी कहा जाता है इस आवर्त सारणी में क्षैतिज पंक्तियाँ आवर्त ( Period ) तथा उर्ध्वाधर स्तम्भ वर्ग ( Group ) कहलाते है । वर्गों की संख्या 18 तथा आवत्तों की संख्या 1 से 7 तक होती है । आवर्त्त मुख्य ऊर्जा स्तर n अर्थात् कोश को निरूपित करते है । प्रथम आवर्त में दो तत्व होते है । इसे अतिलघुआवर्त कहते है । द्वितीय तथा तृतीय आवर्त में 8-8 तत्व है , इन्हे लघु आवर्त कहते है । चतुर्थ व पंचम आवर्त में d कक्षक भी सम्मिलित हो जाते है । इन दोनों आवर्ता में 18-18 तत्व होते है । इन्हे दीर्घ आवर्त कहते है । छठे व सातवें आवर्त में किक्षक भी प्रारंभ हो जाते अतः इनमें 32-32 तत्व होते है । इन्हे अति दीर्घ आवत भी कहते है । हालांकि f- ब्लॉक के एक – एक प्रारूपिक तत्व को आवर्तसारणी में लिखकर दो क्षैतिज पंक्तियों में अलग से 14-14 तत्वों दर्शाया जाता है । इनमें पहली पंक्ति के तत्व लेन्थेनाइड व दूसरी पंक्ति के तत्व एक्टिनॉइड कहलाते है । इस आवर्तसारणी में यह तो स्पष्ट है कि एक ही ऊर्ध्वाधर स्तंभ अर्थात् एक ही वर्ग में तत्वों के बाह्यतम कोशों के इलेक्ट्रानिक विन्यास समान होते है । एक ही वर्ग के इन सभी तत्वों में संयोजकता इलेक्ट्रॉनों की संख्या अर्थात् बाह्यतम कोश में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या समान होती है । उसी वर्ग में ऊपर से नीचे जाने पर केवल कोशो की संख्या बढ़ती जाती है । बाह्यतम कोश में भरे गए अंतिम इलेक्ट्रॉन के आधार पर इन तत्वों को चार ब्लॉक में वर्गीकृत किया जाता है । वर्ग 1 व 2 को ब्लॉक तत्व , वर्ग 13 से 18 तक p ब्लाक तत्व , वर्ग 3 से 12 तक d ब्लाक तत्व तथा नीचे की दोनों क्षैतिज पंक्तियों को ब्लिॉक के तत्व कहा जाता है । क्षैतिज पंक्तियों में पहली पंक्ति के तत्व ( 4f श्रेणी ) लैंथेनम के बाद आते है अतः इन्हे लैन्थेनाइड कहा जाता है । दूसरी पंक्ति के तत्व ( 5f श्रेणी ) एक्टीनियम के बाद आते है अतः इन्हें एक्टिनाइड कहा जाता है । 5 ब्लॉक के तत्वों क्षारीय एंव क्षारीय मृदा घातु , p ब्लॉक के तत्वों को निरूपक तत्व या मुख्य तत्व , d- ब्लॉक के तत्वों को संक्रमण तत्व तथा f- ब्लॉक के तत्वों को अन्तः संक्रमण तत्व कहा जाता है । आवर्त आरणी में यूरेनियम के बाद के तत्वों को परायूरेनियम तत्व भी कहा जाता है । इस प्रकार इस आवर्तसारणी में बाँयी ओर विघुत धनी धात्विक तत्व तथा दाहिनी ओर विघुत ऋणी अधात्विक तत्व आ जाते है । B , Si , As , Te और At के नीचे खींची गई टेढ़ी – मेढ़ी सीढ़ीनुमा रेखा धातु व अधातु की सीमा बनाती है । इन तत्वों को उपधातु भी कहते है ।
1. धात्विक एवं अधात्विक गुण ( Metallic and non – metallic properties ) किसीतत्त्व के परमाणु द्वाराइलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बनाने की प्रवृत्ति उसकाधात्विक गुण कहलाती है । जैसेकि वर्ग 1 के क्षार धातुसबसे अधिक विघुत धनी तत्त्व कहलाते है क्योंकि येसरलता से इलेक्ट्रॉन त्यागकर धनायन बना लेते है । येही सर्वाधिक धात्विक गुण रखते है […]
1. संयोजकता ( Valency ) किसी तत्व का के बाह्यतम कोशमें उपस्थित इलेक्ट्रॉनों की संख्या उसतत्त्व की संयोजकता कानिध रिण करती है । इसगुण को तत्त्वों केइलेक्ट्रॉनिक विन्यास द्वारा स्पष्ट किया जाता है । सामान्यतयाकिसी तत्त्व से संयोग करनेवाले हाइड्रोजन परमाणु की संख्या यासंयोग करने वाले ऑक्सीजन परमाणु की संख्या केआधे को उसकी संयोजकताकहते है […]
आधुनिक आवर्त्त – सारणी ( Modern periodic table ) मैण्डलीफ ने जब आवर्तसारणी का निर्माण कियाथा तब परमाणु मेंअवपरमाणुक कणों ( e , p , n ) की व्यवस्था कीजानकारी नहीं थी । अतःउन्होने परमाणु भार को मुख्य गुणमाना । बीसवीं सदी के प्रारंभ मेंइलेक्ट्रॉन प्रोटॉन व न्यूट्रॉन कीजानकारी के बाद सन1913 में हेनरी मोजले […]
वर्गीकरण ( Classification ) तत्वोंका वर्गीकरण वैज्ञानिको के अनेक वर्षोंके प्रयोगों तथा परिकल्पनाओं का परिणाम है। सर्वप्रथम इस श्रेणी मेंडोबराइनर का नाम आताहै । सन् 1829 मेंउन्होने तीन – तीन तत्वों के समूह बनाएजिनके भौति रासायनिक गुण समान थे । इन्हेंडोबरराइनर के त्रि कहाजाता है । इससमूह में मध्य वाले तत्व का परमा शेषदो तत्वों […]
1. वर्गीकरण की आवश्यकता ( Necessity of classification ) सन् 1800 तक 31 तत्वों की पहचान होचुकी थी । सन्1865 तक 63 तत्वों की पहचान होचुकी थी और आज118 तत्व ( IUPAC के अनुसार ) ज्ञातहै , हालांकि इनमे से कुछ तत्वमानव – निर्मित भी हैं ।इन सभी तत्वों को अलग – अलगयाद रखना , […]
1. नील्स बोर की परिकल्पना ( Hypothesis of neil’s bohr ) सन् 1913 में नील्स बोर ने हाइड्रोजन परमाणुकी संरचना तथा उसके स्पेक्ट्रम को समझाने केलिए प्रतिरूप बनाया तथा तर्कसंगत रूप से समझाया भी। बोर का परमाणु मॉडलनिम्न परिकल्पनाओं पर आधारित है 1. परमाणुके केन्द्र में नाभिक होता है जिसमें धनावेशितकण प्रोटॉन उपस्थित होते है […]
रदर फोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग ( Rutherford’s gold foil experiment ) अर्नेस्टरदरफोर्ड तथा उनके शिष्यों ने सन् 1911 मेंसोने की बहुत पतलीझिल्ली ( Gold foil ) पर α –कणों की बमबारी काप्रयोग किया । इससे सोनेकी पतली झिल्ली ( मोटाई 107 मीटर या 100 nm ) पर उच्च ऊर्जावाले α –कणों ( He के […]
1. डाल्टन का परमाणु सिद्धांत ( Atomic theory of dalton ) सन्1808 में जॉन डॉल्टन नाम के ब्रिटिश स्कूलअध्यापक ने परमाणु कीव्याख्या करने के लिए एकसिद्धांत दिया । यह परमाणुसिद्धांत रासायनिक संयोजन , द्रव्यमान संरक्षण एवं निश्चित अनुपात था । इसकेमुख्य अभिगृहित निम्न है A. प्रत्येकपदार्थ छोटे – छोटे कणों से मिलकर बनाहोत ा है […]