पदार्थ एवं उसका वर्गीकरण पदार्थ (Substance)– कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो और जिसमें द्रव्यमान होता है। पदार्थ को निम्न तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है गुण ठोस द्रव गैस अंतरा आण्विक आकर्षण बल प्रबल मध्यम दुर्बल आकार निश्चित अनिश्चित अनिश्चित आयतन निश्चित निश्चित अनिश्चित घनत्व अधिकतम […]
पदार्थ एवं उसका वर्गीकरण पदार्थ ( Substance ) – कोई भी वस्तु जो स्थान घेरती हो और जिसमें द्रव्यमान होता है । पदार्थ को निम्न तीन प्रकार से वर्गीकृत किया जा सकता है ( 1 ) भौतिक अवस्था के आधार पर ठोस ( Solid ) , द्रव ( Liquid ) और गैस ( Gas ) […]
काँच विभिन्न अक्रिस्टलीय क्षारीय धातुओं का संभागी मिश्रण होता है ।
परमाणु पदार्थ को बनाने वाली मूल इकाई है । परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है , जो उसकी रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है ।
थॉमसन मॉडल इस मॉडल के अनुसार परमाणु धनायन की तरह होता है जिसमें इलेक्ट्रॉन उसी प्रकार पाए जाते हैं । जैसे तरबूज में बीज पाए जाते हैं इसे प्लम पुडिंग मॉडल या तरबूज मॉडल भी करते हैं । रदरफोर्ड मॉडल इस मॉडल के अनुसार परमाणु में धन आवेशित नाभिक में पाए जाते हैं और इलेक्ट्रॉन […]
परिसंचरण तंत्र प्राणियों में दो प्रकार के रूधिर परिसंचरण तंत्र पाये जाते है 1. खुला रक्त परिसंचरण तंत्र इस तंत्र में हृदय द्वारा धमनियों में रूधिर पम्प किया जाता है जो बड़ी गुहाओं या रूधिर कोटरों या अवकाशों में खुलती है । इसमें रक्त प्रवाह धीमा रहता है । उदाहरण कीट , मकड़ी , घोंघा […]
पदार्थ के बारे में जानने के लिए मनुष्य बहुत ही प्राचीन काल से प्रयास करता आ रहा है। पदार्थो के सूक्ष्म स्वरूप के बारे में प्राचीन भारतीय व यूनानी दार्शनिक बहुत पहले ( लगभग 500 ई . पू . ) ही जानकारियाँ एकत्रितकर रहे थे । प्राचीन भारतीय दार्शनिक महर्षिकणाद ने बताया कि पदार्थ को […]
डाल्टन का परमाणु सिद्धांत ( Atomic theory of dalton ) सन्1808 में जॉन डॉल्टन नाम के ब्रिटिश स्कूलअध्यापक ने परमाणु कीव्याख्या करने के लिए एकसिद्धांत दिया । यह परमाणुसिद्धांत रासायनिक संयोजन , द्रव्यमान संरक्षण एवं निश्चित अनुपात था । इसकेमुख्य अभिगृहित निम्न है A. प्रत्येकपदार्थ छोटे – छोटे कणों से मिलकर बनाहोता है , जिन्हे परमाणु ( atoms ) कहते है । B. परमाणुअविभाज्य कण होते है C. एकही तत्व के सभी परमाणुसमान अर्थात् भार , आकार व रासायनिक गुणधर्मोंमें समान होते है । D. भिन्न- भिन्न तत्वों के परमाणु भार, आकार व रासायनिक गुणधर्मोमें भिन्न – भिन्न होते है । E. अलग- अलग तत्वों के परमाणु सदैवछोटी – छोटी पूर्ण संख्याओं के सरल अनुपातमें संयोग कर यौगिक बनातेहै । F. रासायनिकअभिक्रियाओं में परमाणु केवल पुनर्व्यस्थित होते है । इन्हेरासायनिक अभिक्रिया द्वारा न तो बनायाजा सकता है , न ही नष्टकिया जा सकता है। डॉल्टनका परमाणु सिद्धांत बहुत सारे तथ्यों की व्याख्या नहींकर पाया परन्तु इसके द्वारा परमाणु के बारे मेंवैज्ञानिक तथा प्रायोगिक तथ्यों के आधार परअग्रिम अन्वेषणों की पुख्ता नींवरखी गई । 19 वींशताब्दी के अंत तकयह ज्ञात हुआ कि परमाणु मेंकुछ और छोटे – छोटेकण भी विद्यमान होतेहै । इन अवपरमाण्विककणो की उपस्थिति केकारण परमाणु संरचना में और संशोधन
थॉमसन का परमाणु मॉडल ( Atomic model of thomson ) अब तक इलेक्ट्रॉन वप्रोटॉन की खोज होचुकी थीं । परमाणु मेंइन इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन कीआन्तरित संरचना को समझने केलिए मॉडल विकसित किए जा रहे थे। परमाणु संरचना संबधी पहला मॉडल सन् 1898 में सर जे.जेथामसन ने प्रस्तुत कियाथा । उनके अनुसारपरमाणु 10-10 मीटर के आकार काएक घनावेशित गोला होता है । जिसमेंसमान मात्रा में ऋणावेशिंत इलेक्ट्रॉन वितरित होते है । इसेप्लम पुडिंग मॉडल भी कहा जातहै । यह एकप्रकार का क्रिसमस केकहै यहाँ धनावेश को पुडिंग कीतरह माना गया है , जिसमें इलेक्ट्रॉन प्लम की तरह लगेहोते है । इसेभारतीय परिप्रेक्ष्य में बूंदी के लड्डू यातरबूज की तरह भीसमझा जा सकता है। तरबूज का लाल भागधनावेश की तरह तथामध्य में लगे बीज इलेक्ट्रॉन की तरह होतेहै । इस मॉडलमें थॉमसन ने स्पष्ट कियाथा कि परमाणु मेंधनावेश तथा ऋणावेश की मात्रा समानहोती है तथा परमाणुवैद्युतीय रूप से उदासीन होतेहै । इससिद्धान्त से परमाणु काविद्युतीय रूप से उदासीन होनातो स्पष्ट हो गया परन्तुआगे यह प्रतिरूप रदरफोर्डके स्वर्ण पत्र प्रयोग को नहीं समझासका । अतः यहसिद्धांत शीध्र ही निरस्त करदिया गया और केवल ऐतिहासिकमहत्व का रह गया।
रदर फोर्ड का स्वर्ण पत्र प्रयोग ( Rutherford’s gold foil experiment ) अर्नेस्टरदरफोर्ड तथा उनके शिष्यों ने सन् 1911 मेंसोने की बहुत पतलीझिल्ली ( Gold foil ) पर α -कणों की बमबारी काप्रयोग किया । इससे सोनेकी पतली झिल्ली ( मोटाई 107 मीटर या 100 nm ) पर उच्च ऊर्जावाले α -कणों ( He के नाभिक ) कीबमबारी की गई । झिल्लीके चारो तरफ जिंक सल्फाइड से लेपित वृत्ताकारपर्दा रखा गया जिससे कि बमबारी केबाद α – कण इस पर्देसे टकरा कर फ्लैश ( Flash ) ( स्फूरदिप्ती ) उत्पन्नकरता है । इसप्रकार -कण की दिशाज्ञात हो जाती है। रकम अधिकार रदरफोर्ड का स्वर्णपत्र प्रयोगपथ से विचलित कणसीधे निकल जाने वाले कण कण a कणोंका प्रकीर्णन स्वर्ण धातु के नाभिक द्वाराa- कणों का प्रकीर्णन उनकेइस प्रयोग से प्राप्त प्रेक्षणइस प्रकार थे । 1. अधिकांश-कण सोने की झिल्ली सेबिना विक्षेपित हुए सीधे ही निकल गए। 2. बहुतकम -कण कुछ अंशकोण से विक्षेपित होगये । 3. 20,000 α-कणों में एक α – कणका विक्षेपण 180 ° के कोण सेहुआ । इस प्रयोगसे प्राप्त प्रेक्षण अत्यंत अनपेक्षित थे । स्वयंरदरफोर्ड के शब्दो में” यह परिणाम उतना ही अविश्वसनीय थाजैसे अगर आप एक 14 इंचतोप के गोले कोटिशू पेपर के टुकड़ें परमारें और वह लौटकर आपको ही चोट पहुँचाये।“ इन प्रेक्षणों केआधार पर रदरफोर्ड नेनिम्नलिखित निष्कर्ष निकाले – 1. परमाणुका अधिकांश भाग खोखला और आवेशहीन होताहै इसलिए अधिकांश α -कण सीधे हीनिकल जाते है । कुछα – कण विक्षेपित होजाते है इसलिए निश्चितहै कि उनपर प्रबलप्रतिकर्षण बल लगा होताहै । अतः समस्तधनावेश परमाणु के अंदर एकजगह केन्द्रित होना चाहिए । मैक्सवेल केसिद्धांत के अनसार वत्ताकारघूमता हुआ इलेक्ट्रॉन परमाणु में धनावेश का आयतन उसकेकुल आयतन की तुलना मेंबहुत कम होता है। इस धनावेशित आयतनको नाभिक कहा । परमाणु काव्यास लगभग 10-10 मीटर तथा नाभिक का व्यास लगभग10-15 मीटर होता है । उपरोक्तनिष्कर्षों के आधार पररदरफोर्ड ने परमाणु कानिम्नांकित मॉडल प्रस्तुत किया । 1. परमाणुका सम्पूर्ण धनावेश तथा द्रव्यमान उसके मध्य नाभिक में कन्द्रित होता है । 2. परमाणुका अधिकांश भाग रिक्त होता है जिसमें चारोंऔर इलेक्ट्रॉन वृत्ताकार पथों में तीव्र गति से धूमते है। इन वृत्ताकार पथोंको कक्षा ( Orbit ) कहते है । 3. परमाणुविद्युत उदासीन होता है । अतःनिश्चित रूप से परमाणु मेंजितने इलेक्ट्रॉन होते है । उतनीही संख्या में नाभिक में प्रोटॉन उपस्थित होते है । इलेक्ट्रॉननाभिक A परमाणु का रदरफोर्ड मॉडलरदरफोर्ड का परमाणु मॉडलसौर मॉडल का प्रतिरूप भीमाना जाता है । इसमॉडल में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारो तरफभिन्न – भिन्न कक्षाओं में इस प्रकार धूमतेहै जैसे विभिन्न ग्रह सूर्य के चारों तरफविभिन्न कक्षाओं में घूमते है । इसप्रकार यह मॉडल परमाणुसंरचना की व्याख्या करनेका मूलभूत आधार बना परन्तु कुछ तथ्यों को समझा नहींपाया । रदरफोर्ड मॉडलकी कमियाँ a. परमाणुके स्थायित्व की व्याख्या नहींकर सका । b. परमाणुकी इलेक्ट्रॉन संरचना को स्पष्ट नहींकर पाया । विकिरणउत्सर्जित करेगा , जिससे उसकी ऊर्जा कम होती जाएगी। इस प्रकार वहनाभिक के चारो औरसर्पिलाकार गति करता हुआ अंततः उसमें गिर जाएगा परन्तु वास्तव में ऐसा होता नहीं है । यहपरमाणु के स्पेक्ट्रम तथाएक कक्षा में उपस्थित इलेक्ट्रॉन की संख्या एंवव्यवस्था को स्पष्ट नहींकरता है । नील्सबोर ने भौतिकी केक्वांटम सिद्धांतो का उपयोग कररदरफोर्ड मॉडल के दोषो कोदूर करने का प्रयास किया। नील्स बोर