राष्ट्रपति देश का संवैधानिक या नाममात्र प्रमुख / कार्यकारी ( De Jure ) है ।
देश का प्रथम नागरिक है ।
राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का सर्वोच्च सेनापति या सुप्रीम कमाण्डर होता है ।
अनुच्छेद -52 के अनुसार देश के लिए एक राष्ट्रपति होगा ।
अनुच्छेद -53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका शक्तियाँ राष्ट्रपति में निहित होंगी जिनका प्रयोग वह स्वयं या अपने अधिनस्थों के माध्यम से करेगा ।
निर्वाचन–
भारत के राष्ट्रपति की निर्वाचन पद्धति थामस हेयर नामक व्यक्ति ने तैयार किया इसलिए इस पद्धति को हेयर पद्धति भी कहते हैं
अनुच्छेद -54 के अनुसार राष्ट्रपति का निर्वाचन एक निर्वाचक मण्डल करता है जिसमें लोकसभा के निर्वाचित राज्यसभा के निर्वाचित ओर राज्यों की विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं । दूसरे शब्दों में संसद और विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य भाग लेते हैं । संसद के मनोनीत सदस्य और विधानमण्डल ( विधानसभा व परिषद ) के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग नहीं लेते । निर्वाचक मंडल में 50 प्रस्तावक 50 अनुमोदक और 15000 रुपये की जमानत राशि निर्धारित की गई है । यदि किसी उम्मीदवार को डाले गए कुल वैद्य मतों का 1/6 से कम मिलता है तो वह अपनी जमानत राशि खो देता है । यदि राष्ट्रपति के निर्वाचन के समय निर्वाचक मण्डल में कोई स्थान रिक्त है तो राष्ट्रपति के निर्वाचन पर इसका प्रभाव नही पड़ेगा । ( 11 वें संशोधन द्वारा 196 में )
निर्वाचन की विधि अनु . 55
अप्रत्यक्ष रूप से आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत प्रणाली द्वारा गुप्त मतदान से होता है ।
राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का समान प्रतिनिधित्व होना चाहिए तथा संघ व राज्यों के साथ समानता होनी चाहिए । इसलिए संसद के सदस्यों के मत मूल्य का योग , विधान – सभाओं के सदस्यों के मत मूल्य के योग के बराबर होता है ।
विधानसभा के सदस्यों का मत मूल्य
विधानसभा सदस्यों ( MLA ) का मत मूल्य निकालने के लिए , उस राज्य की जनसंख्या को , राज्य के विधानसभाओं के निर्वाचित होने वाले सदस्यों की संख्या से भाग देते हैं और प्राप्त भागफल को 1000 से भाग देते हैं ।
विधायक का मत मूल्य
सांसद के मत मूल्य
कार्यकाल ( अनु .56 )
राष्ट्रपति का कार्यकाल पद ग्रहण करने की तिथि से 5 वर्ष होता है , परन्तु वह अपने पद पर तब तक बना रहा है जब तक उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर लेता । निर्वाचित हो सकता है संविधान इस मामले में मौन या चुप है ।
पुर्ननिर्वाचन ( अनु . 57 )
कोई व्यक्ति जितनी बार चाहे देश का राष्ट्रपति
योग्यताएँ ( अनु . 58 )
1. भारत का नागरिका हो ।
2. न्यूनतम 35 वर्ष आयु हो ।
3. लाभ के पद पर कार्यरत न हो ।
4. वह लोकसभा का सदस्य बनने की योग्यता रखता हो ।
पद के लिए शर्ते ( अनु . 59 ) –
जिस दिन से कोई व्यक्ति राष्ट्रपति पद ग्रहण कर लेता है उस दिन से उसके पूर्व के सभी पद रिक्त मान लिये जाते हैं ।
शपथ ( अनु . 60 )
राष्ट्रपति को उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश द्वारा या उसकी अनुपस्थिति में वरिष्ठतम न्यायाधीश द्वारा संविधान के संरक्षण , प्रतिरक्षण व परिरक्षण की शपथ दिलायी जाती है ।
हटाना ( अनु . 61 ) महाभियोग प्रक्रिया-
‘ संविधान का अतिक्रमण ‘ करने पर राष्ट्रपति को अनुच्छेद -61 में वर्णित महाभियोग प्रक्रिया द्वारा पद से हटाया जा सकता है । यह प्रक्रिया संसद के किसी भी सदन में शुरु की जा सकती है । अर्थात् लोकसभा से भी और राज्य सभा से भी । संसद का कोई भी सदन आरोप लगाएगा । आरोप का प्रस्ताव ( Proposal ) संकल्प ( Resolution ) के रूप में ही होना चाहिए ।
प्रक्रिया शुरु करने के 14 दिन पूर्व राष्ट्रपति को लिखित सूचना दी जानी चाहिए । महाभियोग प्रक्रिया संसद द्वारा चलाई जाने वाली एक अर्द्ध न्यायिक प्रक्रिया है ।
उल्लंघन का प्रस्ताव 1/4 सदस्यों द्वारा रखा जाता ( हस्ताक्षरित ) है फिर उसकी जाँच की जाती है और यदि पहला सदन इस प्रस्ताव को 2/3 बहुमत से पारित कर देता है तो उसे दूसरे सदन में भेज दिया जाता है यदि दूसरा सदन भी लगाये गये दोषो को सही पाता है और 2/3 बहुमत से प्रस्ताव पारित कर देता है तो राष्ट्रपति को प्रस्ताव पारित करने की तिथि से पद से हटाना पड़ता है ,
यह एक अर्द्धन्यायिक प्रक्रिया है अभी तक किसी भी राष्ट्रपति पर महाभियोग नहीं लगाया गया है ।
पद रिक्त होने पर – जब राष्ट्रपति पद पर नहीं होते तो उनके सभी कार्यों को उपराष्ट्रपति देखता है और यदि दोनों ही पद पर नहीं हो तो उच्चतम न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है ।
त्यागपत्र-
राष्ट्रपति अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को देता है और उपराष्ट्रपति इसकी सूचना सबसे पहले लोकसभा अध्यक्ष को देता है ऐसी परिस्थितियों में अनु . – 62 के अन्तर्गत पद रिक्ति को 6 माह में भरा जाता है । उपराष्ट्रपति केवल 6 माह तक ही राष्ट्रपति के रूप में काम कर सकता है और नया चुना गया राष्ट्रपति 5 वर्ष कार्यकाल के लिए निर्वाचित होता है ।
वेतन एवं भत्तें-
राष्ट्रपति को 5 लाख रुपये मासिक वेतन भारत की संचित निधि से दिया जाता है और सेवा निवृत्ति के बाद 30 लाख वार्षिक पेंशन दी जाती है ।
निर्वाचन संबंधी विवाद ( अनु . 71 )
राष्ट्रपति के निर्वाचन सम्बन्धित विवादों को केवल उच्चतम न्यायालय द्वारा ही हल किया जा सकता है । देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ . राजेन्द्र प्रसाद थे जो लगातार 2 कार्यकाल के लिए राष्ट्रपति रहे । वर्तमान में – ‘ रामनाथ कोविंद ‘ राष्ट्रपति हैं जो 15 वें क्रम के 14 वें व्यक्ति है ।
शक्तियाँ ( राष्ट्रपति )
कार्यकारी शक्तियाँ देश के सभी कार्यकारी नियम उपनियम राष्ट्रपति के नाम से बनाये जाते हैं और लागू किए जाते हैं राष्ट्रपति , प्रधानमंत्री की नियुक्ति करता है । राष्ट्रपति लोकसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को देश का प्रधानमंत्री नियुक्त करता है तथा प्रधानमंत्री की सलाह पर मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करता है । वह राज्यों में राज्यपालों , विदेश में राजदूतों व उच्चायुक्तों , महान्यायवादी , नियंत्रक व महालेखा परीक्षक , उच्चतम व उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों , मुख्य व अन्य निर्वाचन आयुक्तों , संघ लोकसेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों तथा राष्ट्रीय स्तर के सभी आयोगों के अध्यक्षों की नियुक्ति करता है ।
विधायी शक्तियाँ राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग है अतः संसद द्वारा पारित कोई भी विधेयक तब तक कानून नहीं बन सकता जब तक उस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर नहीं हो जाते । जब कभी संसद का सत्र नहीं चल रहा और किसी सार्वजनिक महत्त्वपूर्ण विषय पर कानून बनाने की आवश्यकता होती है तो अनु -123 के द्वारा राष्ट्रपति अध्यादेश जारी करके कानून बना सकता है । इस अध्यादेश का वही बल और प्रभाव होता है जैसा संसद द्वारा बनाए गए कानून का होता है । जिसका संसद का सत्र शुरु होने के 6 सप्ताह में अनुमोदन किया जाना जरुरी है अन्यथा यह अध्यादेश स्वतः ही रद्द हो जायेगा ऐसा अध्यादेश अधिकतम छ : माह तक मान्य रह सकता है । किसी भी अध्यादेश की अधिकतम अवधि 6 माह और 6 सप्ताह हो सकती है । राष्ट्रपति ऐसा अध्यादेश किसी भी समय वापिस ले सकता है ।
जब कभी किसी साधारण विधयक पर संसद के दोनों सदनों में मतभेद हो जाता है तो अनु . 108 के अन्तर्गत राष्ट्रपति दोनों सदनों की संयुक्त बैठक बुलाता है जिसकी अध्यक्षता लोकसभा अध्यक्ष करते हैं । प्रत्येक नव निर्वाचित लोकसभा के बाद होने वाले प्रथम सत्र को और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र को और दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को राष्ट्रपति संबोधित करता है ।
अनुच्छेद 86 के द्वारा राष्ट्रपति संसद को सदनों में अभिभाषण दे सकता है और सन्देश भी भेज सकता है ।
राष्ट्रपति अनु .85 के अन्तर्गत संसद के सत्र को आहुत कर सकता है और सत्रावसान भी कर सकता है ।
राष्ट्रपति भवन
भारतीय राष्ट्रपति भवन का निर्माण कार्य 1911 वर्ष 1912 में शुरू होता है तथा 1928 में बनकर पूरा होता है
राष्ट्रपति भवन का उद्घाटन लॉर्ड इरविन ने किया
राष्ट्रपति भवन एक चार मंजिला इमारत है जिसमें कुल 340 कमरे हैं
राष्ट्रपति की शक्तियां दो प्रकार की होती है
सामान्य कालीन सकती है
कार्यपालिका शक्ति
विधायी शक्ती
वित्तीय शक्ति
सैन्य शक्ति
समादान शक्ति