परमाणु संरचना

author
0 minutes, 39 seconds Read

परमाणु संरचना

परमाणु वअणु – परमाणु पदार्थ को बनाने वाली मूल इकाई है । परमाणु किसी तत्व का वह सूक्ष्मतम कण है , जो उसकी रासायनिक अभिक्रियाओं में भाग लेता है ।

दो या दो से अधिक परमाणुओं के निश्चित अनुपात में संयोजन से अणु बनते है । यदि किसीअणु में एक ही प्रकार के परमाणु होते है तो उसे सम परमाण्वीय( Homoatomic ) अणु कहते है ।

उदाहरण : – N2, O2, Cl2 , आदि

यदि किसी अणु में दो या दो से अधिक प्रकार के परमाणु शामिल हो तो उसे विषमपरमाण्वीय अणु कहते है । जैसे- H2O ( जल) ,CO2 ( कार्बनडाइऑक्साइड ) , H202, ( हाइड्रोजन पराक्सॉइड )

अणु ( Molecules ) – किसी तत्व अथवा यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण जिसका प्रकृति में स्वतन्त्र अस्तित्व संभव होता है , अणु कहलाता है ।

परमाणु व अणु में अंतर :-

परमाणुअणु
परमाणु किसी तत्व का सूक्ष्मतम कण है जो उसकी रासायनिक अभिक्रिया में भाग लेता है ।अणु किसी तत्व या यौगिक का वह सूक्ष्मतम कण है जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है ।
ये इलेक्ट्रॉन , प्रोटॉन व न्यूट्रॉन से मिलकर बनता है ।ये परमाणुओं से मिलकर बने होते है ।
परमाणु प्रायः स्वतंत्र अवस्था में नहीं रह सकते है ।अणु प्रकृति में स्वतंत्र अवस्था में रह सकते है । |
रासायनिक अभिक्रियाओं में परमाणु लगभग अविभाज्य रूप में भाग लेते है तथा इनका स्वरूप नष्ट नहीं होता हैप्रायः परमाणुओं में विभाजित हो जाते है रासायनिक संयोग द्वारा अन्य प्रकार के अणु बनाते है ।

डॉल्टन का परमाणु सिद्धांत

डॉल्टन के परमाणु सिद्धांत के अनुसार

1. तत्व अनेक सूक्ष्मतम कणों से मिलकर बना होता है , जिसे परमाणु कहते है ।

2. परमाणु अविभाज्य है ।

3. एक ही तत्व के परमाणु आकार, द्रव्यमान तथा अन्य सभी गुणों में एक दूसरे से समान होते है परन्तु भिन्न तत्वों के परमाणु परस्पर भिन्न होते है ।

Note : समस्थानिक रेडियोएक्टिवता की खोज के बाद डाल्टन सिद्धांत अमान्य हो गया

थॉमसन का परमाणु मॉडल

थॉमसन के अनुसार धनावेश पूरे परमाणु गोले में फैला रहता है जिसकी त्रिज्या108 सेमी. होती है । इस में इलेक्ट्रॉन बीच – बीच में उपस्थित रहकर उसे विद्युत उदासीन बनाते है । थॉमसन का परमाणु मॉडल प्लम – पुडिंगमॉडल कहलाता है । रदरफोर्ड ने अपने एल्फा कण प्रकीर्णन के प्रयोग से इसे अमान्यकर दिया ।

रदरफोर्ड का स्वर्णपत्र प्रयोग:-

अरने स्टरदरफोर्ड ने परमाणु के नाभिक की खोज की इनके स्वर्ण पत्र प्रयोग में 4 x 10-5 सेमी . पतली सोने की झिल्ली पर एल्फा कणों की बमबारी के प्रयोग किये गये । इस प्रयोग के लिए कहा जाता है , कि लोहे का भारी गोला कागज की पतली पन्नी से टकराकर वापस लौट गया ।

निष्कर्ष: –

1. परमाणुका अधिकांश भाग खोखला होता है ।

2. परमाणु के मध्य मेंअत्यंत सूक्ष्म धनावेशित ठोस भाग स्थित है जिसे उसनेनाभिक कहा ।

3. नाभिकमें उपस्थित धनावेशित कणों की संख्या केसमान ही इलेक्ट्रॉनों की संख्या होती है अतः परमाणु उदासीन होता है ।

4. इलेक्ट्रॉन परमाणु के नाभिक के चारों और वृत्ताकार कक्षाओं में चक्कर लगाते है ।

रदरफोर्ड का परमाणु मॉडल इस समस्या का समाधान नहीं कर पाया की इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा हास के कारण इलेक्ट्रॉन नाभिक में समा जायेगा । यदि इलेक्ट्रॉन निरन्तर ऊर्जा का उत्सर्जन करेगा तो प्राप्त स्पेक्ट्रम सतत होना चाहिये लेकिन ऐसा नहीं होता परमाणु रेखीय स्पेक्ट्रम देते हैं ।

इन कमियों को दूर करते हुए नील्स बोर ने परमाणु का मॉडल प्रस्तुत किया ।

नील्स बोर की परिकल्पनायें:

1. इलेक्ट्रॉननाभिक के चारों औ रनिश्चित ऊर्जा के वृत्ताकार स्थायीकक्षों में चक्कर लगाते हैं जिन्हें ऊर्जा स्तर या कोश कहाजाता है ।

2. इलेक्ट्रॉन केवल उन्ही वृत्ताकार कक्षों में चक्कर लगाते है । जिनकाकोणीय संवेग h/2π का पूर्ण गुणांकहोता है ..

3. जबकोई इलेक्ट्रॉन एक ही कक्षमें चक्कर लगाता है तो इलेक्ट्रॉनद्वारा ऊर्जा का अवशोषण याउत्सर्जन नहीं होता है ।

इलेक्ट्रॉन जब निम्न कक्षसे उच्च कक्ष में प्रवेश करता है तो ऊर्जाका अवशोषणकरता है

जबकिउच्च कक्ष से निम्न कक्षमें प्रवेश करते समय ऊर्जा का उत्सर्जनकरता है ।

4. ऊर्जा का अवशोषण या उत्सर्जन क्वांटा या बंडल के रूप में होता है ।

परमाणु के मौलिक कण :

खोजआवेशद्रव्यमान
1. इलेक्ट्रॉनथॉमसन ( कैथोड़) इलेक्ट्रॉन नाम दिया- स्टोनी1.6 x 10-19 ‘ कूलॉम ( मिलिकन ने दिया )9.1 x 10-28 ग्राम इलेक्ट्रॉन का e / m का मान = 1.76 x 10 8 कूलाम / ग्राम
2. प्रोटॉनगोल्डस्टीन1.6020 x 10-19 कूलाम ( धनावेश )1.6726×10-24 ग्राम
3. न्यूट्रॉनजेम्स चैडविकआवेश रहित1.675×10-24 ग्राम
4. पॉजिट्रॉनसी.डी. एण्डरसन ( 1932 )इकाई धनावेशइलेक्ट्रॉन के समान
5. मेसानयुकावा ( 1935 )धन , ऋण , शून्य( > इलेक्ट्रॉन व प्रोटॉन)
6. न्यूट्रीनोपॉलिंग ( 1927 )शून्य( < इलेक्ट्रॉन )
7. एन्टीप्रोटॉनसिगरे ऋणावेशप्रोटॉन के समान
8. एन्टीन्यूट्रॉनकार्कशून्यन्यूट्रॉन के समानचक्रण- न्यूट्रॉन से विपरीत
Note : प्रोटॉन का द्रव्यमान हाइड्रोजन के एक परमाणु के द्रव्यमान के लगभग बराबर होता है

परमाणु संरचना

परमाणु के दो भाग होते है
1. नाभिक
2. बाहरी भाग

1. नाभिक: – नाभिक परमाणु का . अत्यंत सूक्ष्म भाग है । नाभिकन्यूट्रॉन व प्रोटॉन सेमिलकर बना होता है । परमाणुका कुल भार नाभिक में रहता है । नाभिकमें धन आवेशित प्रोटॉनके पाये जाने के कारण इसमेंधन आवेश का उच्च घनत्वपाया जाता है । नाभिकमें पाये जाने वाले प्रोटॉनों एवं न्यूट्रॉनों को सम्मिलित रूपसे ‘ न्यूक्लिओन्स ‘ कहते है । न्यूक्लिओन्सकी संख्या तत्व की द्रव्यमान संख्या( A ) कहलाती है ।

परमाणु के नाभिक काआकार 10-15मी . होता है ।

द्रव्यमान संख्या ( A ) = प्रोटॉन की संख्या ( P ) + न्यूट्रॉन की संख्या ( N )

परमाणुके नाभिक की त्रिज्या उसमेंउपस्थित न्यूक्लिओन्स की संख्या केघनमूल के समानुपाती होतीहै ।

RA3

R = जहाँ R = नाभिक की त्रिज्या , R स्थिरांक( 1.40x 10-13 सेमी. )

A = न्यूक्लिऑनों की संख्या

परमाणु क्रमांक( Atomic Number ) :

किसी तत्व के परमाणु केनाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या उसतत्व का परमाणु क्रमांककहलाता है । उदासीनपरमाणु में परमाणु क्रमांक इलेक्ट्रॉन की संख्या प्रोटोनकी संख्या होती है ।

न्यूट्रॉनों की संख्या = द्रव्यमान संख्या- परमाणु क्रमांक
N = A – Z

बाहरी भाग: – परमाणु के बाहरी भागमें निश्चित कक्षाओं में इलेक्ट्रॉन नाभिक के चारों ओरचक्कर लगाते है । इनकक्षों को ऊर्जा स्तरकहा जाता है ।

प्रथम कक्ष को K ,
द्वितीय कक्ष को L ,
तृतीय कक्ष को M ,
चतुर्थ कक्ष को N

आदिसे दर्शाते है ।

प्रत्येककक्षा में इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम संख्या2n2 होती है ।

(n-कक्षोंकी संख्या ) = 1 , 2 , 3 ,

उदाहरण: – K , L , M , N कक्षोंमें इलेक्ट्रॉनों की अधि कतमसंख्या निम्न प्रकार होगी- .

कक्षn2n2इलेक्ट्रानों की अधिकतम संख्या
K12(1)22
L22(2)28
M32(3)218
N42(4)232

तत्वका निरूपण

zXA [ द्रव्यमान संख्या(A) , परमाणु क्रमांक (Z)]

उदाहरण- 9F19 , 11N23

कक्षक- ( Orbital ) परमाणु कोशों को उपकोशों मेंतथा उपकोशों को कक्षकों मेंविभाजित किया जाता है । परमाणुके नाभिक के चारों ओरवह त्रिविमिय क्षेत्र जहाँ गतिमान इलेक्ट्रॉनों के पाये जानेकी संभावना अधिकतम होती है , कक्षक कहलाता है । एककक्षक में अधिकतम दो इलेक्ट्रॉन रहसकते है । उपकोशचार प्रकार के होते है।

उपकोश
S इसमें एक कक्षक होता है ।S उपकोश गोलाकार होता है ।तथा अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या दो होती है ।
P P उपकोश में तीन कक्षक होते हैतथा आकृति डम्बलाकार होती है । ये तीनों कक्षक त्रिविम स्थान में परस्पर समकोणीय अक्ष ( X , Y व Z ) पर अभिविन्यासित होते है , इन्हें Px , Py व Pz कक्षक कहते है ।P उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 6 होती है ।
d d उपकोश में 5 कक्षक होते है ।इनकी आकृति दोहरी डम्बलाकार होती है जिन्हें क्रमश : dxy , dxz , dyz , dx2, y2 व dz2 द्वारा दर्शाते है ।d उपकोश में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 10 होती है ।
f तथा इसमे सात कक्षक होते हैइनकी आकृति जटिल होती है ।इनमें अधिमतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 14 होती है ।

परमाणु के कक्ष जिन्हें कोश ( Shell ) भी कहते है, जो उपकोशों ( Sub shell ) में विभाजित होते है तथा येउपकोश पुनः कक्षकों ( Orbitals ) में विभाजित रहते है । विभिन्न कोशों में उपकोश तथा कक्षकों की संख्या निम्नप्रकार होती है

कक्ष या कोशउपकोशकक्षक
1s1
2S व P1+3=4
3S, P व d1+3+5=9
4S, P,d व f1+3+5+7=16

कक्ष व कक्षक में अंतर

कक्ष ( Orbit )कक्षक ( Orbital )
कक्ष की अवधारणा बोर द्वारा दी गईकक्षक की अवधारणा तंरग यांत्रिकी सिद्धांत का परिणाम है
द्विविमीय पथत्रिविमीय स्थान
एक कक्ष में अधिकतम इलेक्ट्रॉनों की संख्या 2n2 होती हैएक कक्षक में अधिक इलेक्ट्रॉनों की संख्या दो होती है

Similar Posts